प्राकृतिक कलश यात्रा के छठा दिन पर्यावरणविद ने पर्यावरण धर्म के छठा मूल मंत्र के तहत वन प्राणियों को भोजन कराकर कहां*
*मानवीय भूलों के कारण भगवान के रूप में वन प्राणी आज भिखारी के रुपमे सड़क पर भीख मांगने पर विवश है कौशल*
*नवरात्र में कन्याओं को भोजन कराने व पौधा पानी देने से सुख- शांति व समृद्धि की होती है प्राप्ति : पर्यावरण धर्मगुरु*
फोटो वन प्राणियों को भोजन कराते पर्यावरणविद कौशल
*पतकी वन क्षेत्र लातेहार झारखंड*
विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवा ने लातेहार के पतकी वन क्षेत्र में वन प्राणियों को फलहार भोजन पानी देकर कहा है कि नवरात्र के छठे दिन पर्यावरण धर्म के छठा मूल मंत्र के तहत उसी के तहत आज 6 दिन से चल रहाहे प्रकृति कलश यात्रा कलश तहत वन प्राणियों के फलहार भजन कर आशीर्वाद लिए जिस तरह से कन्याओं को पैर धोकर आशीर्वाद लिया करते हैं उन्होंने कहा है कि मानवीय भुलो के कारण वन प्राणियों के जहां बसेरा था वहां आज मानव का बसेरा हो गया है जिससे भगवान के स्वरूप वन प्राणी आज सड़क पर भुख के आतूर में भिखारी के तरह भूख बुझाने के लिए भीख मांगने पर बीबस हो गए हैं उन्होनें कहा कि नवरात्र में फलहार भोजन करने का विधान है ।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा कि जिस प्रकार प्रतिवर्ष लोग नवरात्र में घर – परिवार की खुशहाली व आत्मा की शांति के लिए घर में कन्याओं को भोजन पानी कराते हैं। उसी प्रकार धरती और ब्रह्मांड की आत्मा की शांति और प्रदूषण से मुक्ति के लिए पूरे नवरात्र के समय कन्याओं को पौधा पानी भी देना चाहिए है। तभी नवरात्र में कलश पूजा और दुर्गा पूजा की सार्थकता बनी रहेगी तथा समाज में भी अमन चैन व शांति कायम रहेगी।
इस अवसर पर सत्य सिंह एवं संतोष प्रजापति भी थे
