पर्यावरणधर्म के बारे में
झारखंड के पलामू में एक नया धर्म फल-फूल रहा है, ‘पर्यावरण धर्म’। आज 5 जून-विश्व पर्यावरण दिवस पर हम आपको बता इस पर्यावरण धर्म के प्रणेता श्री कौशल किशोर जायसवाल के बारे में। श्री कौशल किशोर जायसवाल पिछले 56 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण अभियान चला रहे हैं। उनका ‘वन राखी मूवमेंट’ पर्यावरण संरक्षण के लिए देश में चलाए गए अब तक के सबसे प्रमुख और प्रभावी अभियानों में शुमार है, जिसे महान पर्यावरणविद श्री सुंदरलाल बहुगुणा के ‘चिपको आंदोलन’ के समकक्ष ही रखा जाता है। पर्यावरण के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें देश-विदेश में कई प्रतिष्ठित अवार्डों से नवाजा चुका है। साल में चार बार 21 मार्च (विश्व वानिकी दिवस), 22 अप्रैल (पृथ्वी दिवस), 5 जून (पर्यावरण दिवस) और सावन पूर्णिमा पर पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधते हैं। 1967 में ‘जंगल बचाओ-जंगल लगाओ ‘अभियान शुरू किया। 56 वां और पर्यावरण धर्म व वन राखी मूवमेंट का 46 वां वर्ष तय कर चुके हैं। श्री जायसवाल को झारखंड के मुख्यमंत्री द्वारा 2008 में राज्यपाल द्वारा 2012 में, कर्नाटक में 2008 में, सुंदरलाल बहुगुणा 1995 एवं 2007 और 2009 में तथा यूपी के महिला बाल विकास स्वतंत्र प्रभार मंत्री अनुपमा जायसवाल ने कोलकाता के राष्ट्रीय सम्मेलन में पर्यावरण धर्मगुरु के नाम से प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया था। विश्व के दर्जनों देशों के 251 दुर्लभ प्रजाति के पौधे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
1967 में ‘जंगल बचाओ-जंगल लगाओ ‘अभियान शुरू किया।
अब तक उन्हें 47 अवार्ड मिल चुके हैं। यही कारण है कि यूपीएससी के परीक्षा में एवं कौन बनेगा करोड़पति जैसे चर्चित शो में भी इनसे जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। 9) पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के साथ उत्तराखंड, पंजाब, बिहार, कर्नाटक समेत झारखंड के पलामू जिले के वन राखी मूमेंट के प्रणेता कौशल किशोर के आवास पर्यावरण भवन मे 2007 और 2009 में, आकर निशुल्क पौधा वितरण के 38 वा एवं 40 वा वर्ष पूरा होने के उपरांत शिविर का उद्घाटन किए थे
पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल ने पर्यावरण के क्षेत्र में पिछले 56 वर्ष की यात्रा कर आज जिस मुकाम को तय किया है। उसमें उन्होंने अभीतक अपनी निजी खर्चो पर इस यात्रा के दौरान 42 लाख से ऊपर पौधे को बितरन सह रोपन किया हैं। उनके द्वारा लगाए गए पौधे 10 वर्षों मैं माफियाओं द्वारा पेडो कटाई होने लगे तब उन्होंने पेड़ों को कटने से रोकने के उदेश से1977 ने पर्यावरण धर्म चलाया उसी के तहत उन्होंने वनराखी मूवमेंट चलाकर अब तक सात लाख से ऊपर वन वृक्षो पर रक्षाबंधन कर न सिर्फ उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की है बल्कि उसे उजड़ने से बचाया है। इस अभियान को उन्होंने गांव की सीमा से विदेशों तक पहुंचाया। वहीं लाखों लोगो को पर्यावरण धर्म के आठ मूल उपदेश मंत्रों की शपथ दिलाते हुए इस अभियान से जोड़ा है। पर्यावरणविद की जीवनी से जुड़े कई तथ्यों समेत इनके विशेष यात्रा को देश विदेश की समाचारपत्रों में प्रमुखता से स्थान मिलता रहा है। यहां तक गूगल भी इनके इस विषय अभियान को सहेज कर लोगों को बताने का काम करता है।