*विश्व बेटी दिवस पर छत्तीसगढ़ में पर्यावरणविद ने रुद्राक्ष व कपूर का पौधा लगाते हुए कहा*
*बेटियों व पौधों को मत करो नष्ट-नहीं तो जिंदगी में होगी बहुत कष्ट पर्यावरणविद पूनम व कौशल*
*बेटी व पौधे सृष्टि को बढ़ाने एवं बचाने का करते हैं कार्य: पुनम व कौशल*
– *पर्यावरणविद कौशल पत्नी पूनम के साथ कई कार्यक्रमों में भाग लेने पहुंचे हैं छत्तीसगढ़*
फ़ोटो- बेटियों को सम्मानित करते व शपथ दिलाते पूनम व कौशल
*राजपुर, बलरामपुर, छत्तीसगढ़*
छत्तीसगढ़ के राजपुर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय परिसर में विश्व बेटी दिवस पर विशेष आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के अगुआ पर्यावरण विद कौशल किशोर जायसवाल और उनकी धर्मपत्नी व संस्था के प्रधान सचिव श्रीमती पूनम जायसवाल ने बेटियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उन्होंने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए पर्यावरण धर्म के प्रार्थना के साथ कपूर व रुद्राक्ष के पौधे विद्यालय के सभी शिक्षिका और बेटियों की उपस्थिति में लगाया। पौधरोपण कर उन्होंने कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों को
पर्यावरण धर्म के आठ मुल ज्ञान मंत्रों की शपथ भी दिलाई।।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने अपने संबोधन में कहा कि बेटीयां ही सृष्टि को जन्म दी है वहीं पेड़,पौधे सृष्टि को नष्ट होने से बचाने के लिए ऑक्सीजन दिया । इसीलिए हमारे देश की सभ्यता व संस्कृति में नारी, नीर,बेटियों और वृक्षों की पूजा की जाती है । समाज में जब बेटी जन्म लेती है तो हमारी परंपरा में उसे लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
इसलिए दुर्गा पूजा में नवमी के दिन 9 बेटियों को अंग वस्त्र देकर उनकी पूजा की जाती है ।
वन राखी मूवमेंट के अगुआ कौशल ने वन ,पौधों और बेटियों को नष्ट नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि अगर इन्हें सुरक्षित नहीं किया गया तो लोगोंकी जिंदगी तबाह हो जाएगी। कहा कि पौधे और बच्चियों की सेवा से ही सृष्टि को नाश होने से बचाया जा सकता है।
संस्था के प्रधान सचिव श्रीमती पूनम जायसवाल ने कहा कि जहां नारियों की पूजा होती है वहीं देवताओं का वास होता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस समाज में नारियों का सम्मान और पूजा नहीं किया जाता वहां अध्यात्म कहता है कि उस जगह पर जीवन का कोई भी सत्कर्म सार्थक नहीं होता है।उन्होंने पौधे को लगाकर बच्चे की तरह देखभाल करने की बातें कही।
वार्डेन उर्मिला मींस ने पर्यावरणविद कौशल के कार्यो की सराहना करते हुए कही कि जिस व्यक्ति में सेवा, समर्पण और त्याग की पराकाष्ठा नहीं होगी वह इतने लंबे अरसे तक अपनी निजी खर्चों पर समाज और देशहित के इस अभियान को जारी नहीं रख सकता। उन्होंने यह भी कहा कि
पर्यावरणविद के द्वारा पूर्व में उनके विद्यालय में लगाए गए पौधे अब पेड़ के रूप में फल फूल देने लगे हैं। विद्यालय की ओर से पर्यावरणविद को सम्मानित भी किया गया। मौके पर अलीमा, प्रिंसी, खुशबू उपाध्याय, साक्षी यादव, अंजू यादव, पायल दास, ज्योति, प्रतिमा अनीता, रागिनी, दुर्गा कुमारी समेत कस्तूरबा की सैकड़ों छात्राएं उपस्थित थीं।