*प्रकृति के वसूलों के साथ छेड़छाड़ करना लोगों के लिए* *साबित हो सकता है मंहगा:कौशल*
*पर्यावरणविद के फार्महाउस से निकले सांप को कौशल ने* *वनों में जाकर छोड़ा*
*पशु पक्षी की तरह सांप भी पर्यावरण के अंग और प्रकृति के लगाम के रुप में है, उसे नष्ट ना करें*
*मेदिनीनगर। पलामू*
विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्म व वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद् कौशल किशोर जायसवाल के कजरी फार्म हाउस में दुर्लभ प्रजाति के सांप रसेल वाइपर निकला। रसेल वाइपर ऐसी प्रजाति का सर्प है जो किसी को डसलें तो उसका कोई इलाज नहीं है। वावजूद सांप को पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने पकड़ कर सुरक्षित कंडा के वनों में जाकर छोड़ दिया । उन्होंने कहा कि वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा करना केवल वन विभाग के कर्मियों का ही दायित्व नहीं है। बल्कि समाज के हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि उसकी सुरक्षा प्रदान करें।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा है कि जिस प्रकार खेल कला- संस्कृति, पशु पक्षी वन्य पर्यावरण के अंग और राष्ट्र की धरोहर है उसी प्रकार सांप भी पर्यावरण का अंग माना जाता है। इसे प्रकृति पर की लगाम लगाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि जिस प्रकार हिरण की संख्या अधिक ना हो जाए , वह पालतू जानवरों का भोजन घास ना चट कर जाए उसके लिए प्रकृति ने उसकी संख्या को नियंत्रित रखने के लिए चीता और बाघ को रखा है। ठीक उसी प्रकार चूहों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि न हो जाय । उसके लिए भी प्रकृति इंतजाम कर रखी है। चूहों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए ही प्रकृति सांप रखा है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रो में छठा मुल मंत्र में जानवरों की सुरक्षा करना शामिल है। इसलिए उन्होंने सभी लोगों से अपील करते हुए कहा कि सांप को मारकर प्रकृति के लगाम की डोर नहीं तोड़े। इससे कहीं ना कहीं लोगों का नुकसान हो सकता है। उन्होंने समाज के लोगों से पर्यावरण की रक्षा के लिए वन्य और वन्य प्राणियों को हरसंभव सुरक्षित और संरक्षित करने की अपील की है ताकि इस अभियान को मजबूती प्रदान किया जा सके। इस कार्य में मदद करने वाले शमीम अंसारी रामू और संतोष