जीवित्पुत्रिका व्रत पर पर्यावरणविद ने पीपल के पूजा कराते हुए कहा*
*पति और प्रकृति की रक्षा के लिए किया जाता है बट व सावित्री पूजा,जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की रक्षा के लिए पीपल के पूजा कर्मा भाई की रक्षा के लिए करम पेड की पूजा अक्षय नवमी में आंवला पेड़ की पूजा का अलग अलग महत्व है*
जीवित्पुत्रिका पूजा कराते पर्यावरणविद कौशल
*मेदनीनगर पलामू झारखंड*
मेदिनीनगर आबाद गंज स्थित आवास पर्यावरण भवन में विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के अगुआ पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने जीवित्पुत्रिका व्रतियों को पीपल के पौधे, भेला के डाल और काशी घास की पूजा-अर्चना पर्यावरण धर्म के प्रार्थना के साथ कराई। उन्होंने कहा कि जीवित्पुत्रिका निर्जला व्रत संतान प्राप्ति और उसे दीर्घायु, आरोग्य और सुखमय जीवन की कामना के साथ किया जाता है। पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने अपने पुण्य कर्मों को अर्जित करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को जीवनदान दिया था । इसीलिए यह व्रत संतान की रक्षा की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के फलस्वरूप भगवान श्री कृष्ण संतान की रक्षा करते हैं।
पर्यावरणविद कौशल ने माताओं एवं बहनों को संतान की लंबी उम्र व सुखी जीवन के लिए रखे जाने वाले निर्जला व्रत मातृत्व का पर्व जितिया की हार्दिक शुभकामनाएं बधाई देते हुए कहा कि पति व प्रकृति की रक्षा के लिए सावित्री बट वृक्ष की पूजा, अक्षय नवमी को आंवला, कर्मा में कर्म की और जीवित्पुत्रिका में पीपल की पूजा की जाती है। जो सभी पूजाओं में प्रकृति प्रदत पौधों का अलग-अलग महत्व है। इस पूजा में पर्यावरण धर्म के तहत सभी प्रजाति के पौधे लगाना चाहिए।
पूजा में संस्था के प्रधान सचिव श्रीमती पूनम जायसवाल, कोमल जायसवाल, दिव्या देवी सिंह, मीरा देवी, प्रेमा देवी आदि शामिल थीं।