*प्रमंडलीय आयुक्त ने पर्यावरणविद द्वारा छठ पूजा पर सुखी आम लकड़ी वितरण का किया शुभारंभ*
– *तीन दशक से छठ पूजा पर सुखी आम की लकड़ियां वितरित करते आ रहे हैं पर्यावरणविद*
*पर्यावरणविद कौशल ने व्रतियों के बीच दो ट्रक आम की लकड़ियां दान करते हुए कहा कि*
*आम के पौधे नहीं लगे तो आने वाले पीढ़ी को घी से भी महंगा मिलेगी आम की लकड़ी,आम के हरा पेड़ से धरती और आम के मरा पेड़ से ब्राह्मणड तक प्रदूषण मुक्त होता है कौशल*
फोटो आम के लकड़ी दान करते पर्यावरणविद व आयुक्त, अरुण व अमित
*मेदिनीनगर पलामू झारखंड*
प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने शुक्रवार को शहर के तीनकोनिया गैरेज के समीप पर्यावरणविद के द्वारा छठ पूजा पर सुखी लकड़ियां वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ व्रतियों के बीच सुखी लकड़ियां प्रदान कर किया। मौके पर पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल, छतरपुर पूर्वी के जिला पार्षद अमित कुमार जायसवाल सहित अन्य कई गणमान्य लोग उपस्थित होकर वितरण में सहयोग कर रहे थे।
प्रमंडलीय आयुक्त श्री चौधरीने छठ व्रतियों के बीच सुखी हुई आम की लकड़ी प्रदान करते हुए कहा कि पवित्रता व शुद्धता का इस महान पर्व के बेला पर व्रतियों को मदद करना न सिर्फ उत्कृष्ट समाज सेवा है बल्कि इससे बड़ा पुण्य का काम मानव जीवन में और कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने पिछले 30 वर्षों से पर्यावरणविद की ओर से किये जा रहे इस पुनीत कार्य की काफी सराहना की। विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने आम की लकड़ियों को दान करते हुए कहा कि अगर अभी से ही लोग आम के पौधे पर्याप्त मात्रा में नहीं लगाएंगे तो एक दिन ऐसा वक्त आयेगा कि लोगों को इस धार्मिक अनुष्ठान के लिए घी से भी ज्यादा कीमत आम की लकड़ी को देना होगा। क्योंकि आम का हरा पेड़ से धरती और आम का सूखा पेड़ जलाने से ब्राह्मणड तक प्रदूषण मुक्त होता है पर्यावरणविद कौशल ने शहरवासियों को पिछले 30 वर्षों से दीपावली की सुबह से छठ पूजा के खीर भोजन तक दो से तीन ट्रक प्रति वर्ष आम की सूखी लकड़ियां दान करते आ रहे हैं। इसके साथ ही वे अपनी जन्म भूमि छतरपुर के ग्राम डाली बाजार में पूजा सामग्री के साथ व्रतियों को साड़ी -धोती पूर्वजों से दान करते आ रहे हैं । उन्होंने कहा कि पहले राजा महाराजा आम के बगीचे लगाते थे।जब वही पेड़ बूढ़ा होकर गिरने लगते थे तो उसका उपयोग इस महान व्रत में किया जाता था। अब नए आम के पौधे नहीं लगाए जाएंगे तो छठ पूजा में आम की लकड़ी फिर कहां से मिलेगी। यह भी सर्वविदित है कि
नेक निष्ठा और लोक आस्था के इस महान पर्व छठ पूजा का प्रसाद आम की लकड़ी से ही तैयार किया जाता है । इसी कारण कई लोग छठ पूजा में आम की लकड़ी 10 गुने महंगे दाम पर बेचते हैं । जबकि पर्यावरणविद की सोच है कि गरीब से गरीब लोग छठ पूजा करें उन्हें इस अवसर पर आम की लकड़ी महंगे दामों पर ना खरीदना पड़े। उन्होंने बताया कि पूजा को लेकर
उड़ीसा, छत्तीसगढ़ से सुखी हुई आम की लकड़ी खरीद कर इकट्ठा किया जाता है । उसे ही छठ पूजा में वितरण किया जाता है। इस कार्य की पूरी जिम्मेवारी जायसवाल टिंबर के प्रो:अरुण कुमार जायसवाल एवं छतरपुर पूर्वी जिला पार्षद अमित कुमार जायसवाल को दिया जाता है । इस कार्य में बसंत सिंह अनुज कुमार गोपाल प्रसाद मुनेश्वर माझी शमीम अंसारी, अमरेंद्र कुमार की भूमिका भी सराहनीय रहती है। मौके पर अरविंद जायसवाल , रोहित जायसवाल , मनीष सिंह, आशुतोष जायसवाल आदि उपस्थित होकर वितरण में सहयोग किया।