शारदीय नवरात्र पर गजना धाम परिसर में कलश स्थापना के उपरांत पर्यावरणविद ने नवरत्न पौधरोपण कर कहा*
*शारदीय नवरात्रि के नौ दिन आस्था और भक्ति के साथ ही लेकर आता है साधना का भी अवसर:कौशल*
– *नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ शक्तियों के स्वरूपों की होती है पूजा, मुखिया पूनम जायसवाल*
फोटो वैदिक मंत्रोचार के साथ नवरत्न पौधा स्थापना करते पर्यावरणविद
*हुसैनाबाद, पलामू , झारखंड बिहार*
झारखंड बिहार के सीमा पर कई एकड़ में फैले गजानन माता मंदिर परिसर के साथ हुसैनाबाद अनुमंडल के पंचायत पोलडिह जगदीशपुर ग्राम बरौली एवं बरवाडी चैक पर विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ नवरत्न पौधों का स्थापना कर नवरात्रि का शुभारंभ किया। उस क्षेत्र के कई गांव के ग्रामीणों के बीच फलदार पौधों का भी निशुल्क वितरण भी किया गया।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा कि शरद ऋतु की हल्की दस्तक के कारण हमारे आयुर्वेद के ज्ञाता ऋषि मुनियों ने कुछ औषधियों को इस ऋतु में विशेष सेवन हेतु बताया था। जिससे प्रत्येक दिन हम सभी उसका सेवन कर शक्ति के रूप में शारीरिक व मानसिक क्षमता को बढ़ाकर हम शक्तिवान, ऊर्जावान बलवान व विद्वान बन सकें। नौ तरह की वह दिव्यगुणयुक्त महा औषधियाँ निस्संदेह बहुत ही प्रभावशाली व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली हुआ करती थीं जिससे हम ताउम्र हर मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं को ढालने में सक्षम हुआ करते थे। और निरोगी बन दीर्घायु प्राप्त करते थे । लेकिन तथाकथित पुराणकारों ने इसका वास्तविक रूप विकृत कर अर्थ का अनर्थ ही कर दिया। हर दिव्यौषधि को एक शक्तिस्वरूपा कल्पित स्त्री का रूप दे दिया, कल्पना में ही नौ शक्तिवर्धक औषधियों को स्त्री नाम देकर, उनका वीभत्स आकार गढ़कर उन्हें मूर्त रूप में पूजना शुरु कर दिया। वस्तुतः यह सब समाज के धर्म के ठेकेदारों ने अपनी आजीवन व आगामी वर्षों पर्यंत तक अपनी भावी पीढ़ियों की आजीविका चलाने के लिए यह अधर्म का एक सफल कुत्सित प्रयास किया है। आज यह पाखण्ड मानव बुद्धि को अंगूठा दिखाता, उपहास बनाता एक विकराल व विक्षिप्त रूप धारण कर चुका है जिसके बाहुपाश से छुटकारा मिलना सभी बुद्धिजीवीयों के लिए मुश्किल तो है लेकिन असंभव नहीं। मनुष्य अपनी सामान्य बुद्धि का प्रयोग किसी विषय को मानने से पहले जानने के लिए करे तो वह प्रत्येक स्थिति को बारीकी से समझने में सक्षम हो सकता है। वह स्थिति स्वत: ही उसके विवेक द्वारा अनुकूल बन सकती है। विवेकशील व स्वाध्यायशील बन इस प्रकार के सभी ढोंग, पाखंड और आडंबरों से बचा जा सकता है अन्यथा जिसे विषय का सत्य ज्ञान नहीं वा ज्ञानार्जित करने में आलस प्रमाद करता है वह तथाकथित मूढ़, अभिमानी, स्वार्थी पाखण्डी की तरह सभी सामाजिक कुरीतियों व धार्मिक मिथ्या कर्मकाण्डों में लिप्त रहता है।
*वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल ने कहा कि नवदुर्गा के अमूर्त रूप की रूपक औषधियाँ जिनका हमें शीतकाल में सेवन करना चाहिए-*
1 हरड़ 2 ब्राह्मी 3 चन्दसूर 4 कूष्मांडा 5 अलसी 6 मोईपा या माचिका 7 नागदान 8 तुलसी 9 शतावरी-
*1. प्रथम शैलपुत्री यानि हरड़ -* कई प्रकार की समस्याओं में काम आने वाली औषधि हरड़,
*2.द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी -* यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली,
*3. तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर -* चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है।
*4. चतुर्थ कुष्माण्डा यानि पेठा -* इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है,
*5. पंचम स्कंदमाता यानि अलसी -* यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं।
*6. षष्ठम कात्यायनी यानि मोइया -* इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिक
*7. सप्तम कालरात्रि यानि नागदौन -* यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है।
*8. तुलसी -* तुलसी सात प्रकार की होती है-
*9. नवम शतावरी -* जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं।
*इस प्रकार आयुर्वेद की भाषा में नौ औषधि रूपी नौ देवियां मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन उचित व साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करती है। अत: मनुष्य को इन औषधियों का सेवन अवश्य ही करना चाहिये और इस ऋतु के अनुसार सुगंधित आयुर्वेदिक औषधियों से युक्त सामग्री से नित्य यज्ञ करना चाहिए।*
नवरात्र में नवरत्न पौधे एवं कलश स्थापना पर संस्था के प्रधान सचिव सह ग्राम पंचायत डाली बाजार के मुखिया पूनम जायसवाल, कोमल जायसवाल, गजना धाम के पुजारी जयनंदन पांडेय, जगनारायण मिश्रा, अयोध्या पांडेय,जितेंद्र सिन्हा, अरुण सिंह, चितरंजन सिंह, छोटू कुमार, धनंजय पासवान समेत सैकड़ों लोग पर्यावरण धर्म की शपथ लिया।।